प्रेम है मात्र अपने परित्याग में || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)
2019-11-29 3 Dailymotion
वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१५ जून २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br />शब्दों की काट में न तर्कों की आग में, प्रेम है मात्र अपने परित्याग में<br />परित्याग का क्या आशय है?<br />प्रेम को कैसे समझाया जा सकता है?